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    अपने किचन गार्डन में बोई जा सकने वाली सब्जियों की लिस्ट

    List of vegetables that can be sown in your kitchen garden


    अपने किचन गार्डन में बोई जा सकने वाली सब्जियों की लिस्ट 

    आलू

    आलू एक ऐसी सब्जी है, जो प्रत्येक परिवार में उपयोग में लायी जाती है। यह सर्वाधिक पसन्द की जाने वाली सब्जी है। अगर आपका किचन गार्डन पहाड़ी स्थल पर अवस्थित है तो इसे दोमट मिट्टी में फरवरी-मार्च और मई-जून में बोइए। मैदानी इलाकों में इसे बोने का वक्त है-सितम्बर-अक्टूबर तथा नवम्बर की शुरुआत। 

    अदरक

    अदरक सब्जियों में छौंक के साथ डालने के अलावा विभिन्न रूपों में खाई जाती है। यह जायकेदार तो है ही, साथ ही पौष्टिक गुणों से भरपूर भी है। इसकी उपज के लिए दोमट व बलुआ मिट्टी उपयुक्त है। पहाड़ों पर बोने का वक्त है फरवरी के अन्तिम सप्ताह से मई की शुरुआत तक, तथा मैदानी इलाकों में जून-जुलाई। 

    अरबी  

    अरबी को दोमट एवं मटियार-दोमट मिट्टी में हर साल अक्टूबर-मार्च में बोएं।

    बैगन

    पहाड़ी स्थल पर लम्बे बैगन जुलाई-मार्च में बोएं। मैदानी इलाकों में भी आप इन बैगनों को इसी अवसर पर उगा सकती हैं। गोल बैगनों को बोने का समय अगस्त-अप्रैल है। यह दोमट मिट्टी पर अच्छा फलता है।

    गांठ गोभी

    गांठ गोभी मैदानी इलाकों में अगस्त-अक्टूबर में बोएं, जबकि पहाड़ी इलाकों में अप्रैल-जून में। उचित मिट्टी-बलुआ दोमट व मटियार दोमट।

    फूल गोभी

    फूल गोभी पहाड़ी इलाकों पर नहीं उगती, अतएव आपका किचन गार्डन पहाड़ी स्थल पर स्थित है तो इसे बोने का प्रयास न करें। हां, मैदानी इलाकों में इसे सुगमता व बहुतायत में उगाया जा सकता है। उगाने का उचित समय है-जून, जुलाई और अगस्त के तीन महीने। दोमट मिट्टी ठीक रहेगी। 

    टमाटर

    टमाटर प्रत्येक स्थान पर सुगमता से उगाया जा सकता है-वो भी प्रत्येक मौसम में। मिट्टी-दोमट।

    लौकी (घिया)

    इसके लिए दोमट मिट्टी ठीक रहती है। पहाड़ों पर इसकी बुआई अप्रैल-मई तक शुरू कर देनी चाहिए। जबकि मैदानी इलाकों में इसे फरवरी तथा अक्टूबर में बोएं। 

    शलगम

    यह हर समय पैदा किया जा सकता है और हर जगह बड़े मजे से उग जाता है। शलगम के लिए दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है। 

    भिण्डी

    भिण्डी भी हर मौसम में उगती है। यह मैदानी व पहाड़ी-दोनों इलाकों में समान रूप से उगती है। भिण्डी के लिए दोमट मिट्टी ही ठीक रहती है। 

    सीताफल

    सीताफल पहाड़ों पर नहीं फलता। मैदानी इलाकों में इसे फरवरी, मार्च व मई-जून में बोएं। दोमट मिट्टी पर यह सही फलता है।

    टिण्डा

    यह पहाड़ों पर ठीक से नहीं फल पाता, अतएव मैदानी इलाकों में ही इस बोना ठीक रहता है। बोने का समय है-फरवरी व मार्च। दोमट मिट्टी पर अच्छा फलता है। 

    प्याज

    प्याज ऐसी सब्जी है,जो हर-जगह उग जाती है। इसे प्रत्येक मौसम में उगाया जा सकता है। दोमट मिट्टी पर प्याज अच्छी तादाद में उगते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में इसे अलग-अलग मौसम में रोपा जाता है।

    काशीफल (कद्दू)

    कद्दू की बेल होती है। यह हर जगह उग जाती है तथा हर मौसम में उगाई जा सकती है। सो मैदानी व पहाड़ी स्थानों पर समान भाव से हर मौसम में बोएं। दोमट मिट्टी अधिक उचित रहती है।

    चुकन्दर

    चुकन्दर स्वास्थ्यवर्द्धक फल है, जो खून बढ़ाता है और साफ करता है। इसका सेवन अधिकतर सलाद में किया जाता है अथवा पुलाव को लाल रंग प्रदान करने के लिए इसकी छोटी-छोटी कतरन छोड़ दी जाती है। चुकन्दर मैदानी व पहाड़ी दोनों जगह पैदा होता है। पहाड़ों पर फरवरी व मई में और मैदानों में फरवरी व सितम्बर में बोएं। मिट्टी दोमट ही ठीक रहेगी।

    मटर

    पहाड़ी स्थल पर इसकी फसल नहीं हो पाती, अतः इसे मैदानी इलाकों में ही बोएं। बोने का समय है-बारिश समाप्त होते ही अगस्त के अन्तिम सप्ताह से लेकर अक्तूबर के अन्तिम सप्ताह तक। दोमट मिट्टी पर मटर अच्छी फलती है।

    तोरी

    तोरी की बेल भी हर जगह लग सकती है। इसे किसी भी मौसम में बो सकती है। मैदानी व पहाड़ी इलाकों में समान भाव से फल देती है। दोमट मिट्टी पर बोने से यह अधिक फल प्रदान करती है।

    करेला

    करेले की फसल बलुआ दोमट व दोमट पर अच्छी उगती है। यह मैदानी व पहाड़ी स्थानों पर समान भाव से उगती है। इसके बोने के लिए कोई मौसम निश्चित नहीं। किसी भी माह में बो सकती हैं।

    धनियां

    धनियां भी हर जगह उगायी जा सकती है। इसके बोने के लिए कोई मौसम निश्चित नहीं। मैदानी व पहाड़ी इलाकों में सुविधानुसार बोएं। इसकी फसल के लिए प्रत्येक मिट्टी अनुकूल है।

    पुदीना

    यह दोमट मिट्टी पर उगता है। पहाड़ी इलाकों में इसकी फसल को अनुकूल आबोहवा नहीं मिलती, सो वहाँ इसकी अच्छी फसल नहीं होती। मैदानी इलाकों में इसे सितम्बर के अन्तिम सप्ताह से लेकर नवम्बर माह तक बो सकती हैं।

    सेम

    सेम की फलियाँ हर जगह उगाई जा सकती हैं। यह मैदानी व पहाड़ी इलाकों में हर मौसम में उग जाती है। अतएव हर जगह पर किचन-गार्डन बनाने वाले इसे सुविधानुसार उगा कर हर मौसम में सेम की फलियाँ पा सकते हैं। इसके लिए मटियार दोमट मिट्टी अच्छी होती है। 

    लहसुन

    लहसुन को प्रत्येक मिट्टी पर उगाया जा सकता है। यह पहाड़ी व मैदानी दोनों इलाकों में समान भाव से उग जाता है। पहाड़ों पर इसे मार्च के शुरू से लेकर जून के शुरू तक बो सकती हैं। मैदानी इलाकों में इसे बोने का समय है-सितम्बर के अन्तिम सप्ताह से लेकर जुलाई तक। 

    परवल

    परवल उन सब्जियों में से है, जिसे मैदानी व पहाड़ी स्थलों पर किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है। सो इसकी फसल आप सुविधानुसार किसी भी मौसम में प्राप्त कर सकती हैं। दोमट मिट्टी पर ठीक फलता है।

    खीरा

    खीरा अधिकतर ग्रीष्म ऋतु में ही फलता है, लेकिन वर्ष के शुरू में भी इसकी फसल मिल जाती है। इसका उपयोग अकसर सलाद में किया जाता है-इसे मसाले के साथ कच्चा खाने में भी मजा आता है। पहाड़ों पर इसे गर्मियों में ही उगाना चाहिए-लगभग अप्रैल से लेकर जुलाई के प्रथम सप्ताह तक। मैदानी इलाकों में इसे जनवरी से लेकर अप्रैल के अन्तिम सप्ताह तक बो सकती हैं। दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त है।

    ककड़ी 

    ककड़ी का इस्तेमाल भी सलाद में किया जाता है और यह कच्ची भी खूब खायी जाती है। पहाड़ी व मैदानी-दोनों इलाकों में बहुतायत में उगती है। पहाड़ों पर इसे फरवरी के दूसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के पहले सप्ताह तक बोइए और मैदानी इलाकों में इसके बोने का समय है-मई के पहले सप्ताह से लेकर जुलाई के अन्तिम सप्ताह तक। इसके लिए दोमट मिट्टी और बलुआ मिट्टी अधिक उचित रहती है।

    तरबूज

    इसकी बेल होती है, जो हर जगह उगायी जा सकती है। इसे मैदानी अथवा पहाड़ी इलाकों में किसी भी मौसम में उगा सकते हैं। वैसे यह ग्रीष्म ऋतु में ही अधिक फलता है। इसके लिए दोमट मिट्टी ज्यादा उपयुक्त रहती है। 

    पालक

    पालक के पौधे से जो पत्तियाँ फलती हैं, उन्हीं का साग बनाया जाता है, जो स्वादिष्ट होता है। पालक मैदानी इलाकों में ही बहुतायत में उगायी जा सकती है। पहाड़ी इलाकों में इसकी पैदावार नहीं हो पाती-या ठीक से नहीं हो पाती। मैदानी भागों में इसे बारिश के मौसम के अन्त में यानी सितम्बर के प्रथम सप्ताह से नवम्बर के प्रथम सप्ताह तक बोएं। मिट्टी दोमट हो तो अधिक बेहतर होगा। 

    सरसों

    सरसों जब पक जाती है तो इसके फलों से तेल निकाला जाता है। वैसे सरसों के पत्तों को तोड़ कर इसका साग भी बनाया जाता है, जो स्वादिष्ट होता है। इसे हर इलाके में पैदा किया जा सकता है-हर मौसम में। अतः मैदानी व पहाड़ी इलाकों में किचन-गार्डन बनाने वाले सुविधानुसार किसी भी मौसम में इसको बो सकते हैं।

    सोयाबीन

    आजकल सोयाबीन का सेवन अनेक प्रकार की सब्जियों में खूब होने लगा है। इसे पहाड़ी स्थलों पर बोना अधिक सुविधाजनक नहीं, अतः मैदानी इलाकों में इसे सितम्बर-अक्टूबर तक बो डालें। दोमट मिट्टी ठीक रहेगी।

    जीरा

    जीरा दोमट व दोमट-बलुआ पर अच्छा उगता है। यह पहाड़ी इलाकों में नहीं उगता। हां, मैदानी इलाकों में इसे सितम्बर माह से नवम्बर माह के प्रथम सप्ताह तक बो सकती हैं।

    मूली

    मूली की पौध हर जगह फलती है। हालांकि यह हर मौसम में फलती है. फिर भी इसकी बहुतायत फसल सर्द मौसम की शुरुआत में खूब होती है। इसे मैदानी व पहाड़ी दोनों इलाकों में सुविधानुसार बो सकती हैं। मिट्टी दोमट ही रहे तो बेहतर

    शकरकन्द

    इसे भी प्रत्येक मौसम में उगा सकते हैं। यह मैदानी तथा पहाड़ी दोनों इलाकों में समान भाव में उगती है। फिर भी सर्द मौसम की शुरुआत में बहुतायत में फलती है। इसे दोमट अथवा बलुआ दोमट में बोएं। 

    ग्वार

    ग्वार के लिए प्रत्येक मिट्टी मुफीद है। मैदानी इलाकों में इसे जून से लेकर अगस्त के अन्तिम सप्ताह तक बोएं और पहाडी इलाकों में जनवरी के अन्तिम सप्ताह से अप्रैल के प्रथम सप्ताह तक। 

    मूंगफली

    मूंगफली की गिरी से तेल बनाया जाता है और यह कच्ची भी खब खायी जाती है। मूंगफली की गिरियों की कतरन विभिन्न सब्जियों,हलवों और आइसक्रीमों में भी डाली जाती है। अत्यन्त स्वादिष्ट होती है। यह दोमट (बलुआ) पर खूब फलती है। अकसर मैदानी इलाकों में फलती है। इसके बोने का समय है-जून के द्वितीय सप्ताह से लेकर सितम्बर के प्रथम सप्ताह तक।

    गाजर

    इसे अक्तबर तथा मार्च में बोएं-यही उचित समय है। अकसर मैदानी इलाकों में इसकी पैदावार अच्छी होती है।

    पपीता

    किचन गार्डन के सीमान्त पर पपीते के पेड़ लगाना अच्छा रहेगा। इसकी पैदावार अकसर मैदानी इलाकों में ही होती है। दोमट एवं दोमट (मटियार) नामक मिट्टी में इसकी पैदावार होती है। बोने का समय है-मार्च तथा जून-जुलाई।

    केला

    केला अत्यन्त स्वादिष्ट मीठा फल है। यह मैदानी इलाकों में ही फलता है। इसके पत्तों पर हिन्दू-त्यौहारों में भोज भी परोसा जाता है। यह दोमट व बलुआ दोमट पर फलता है। इसे बोने का कोई निश्चित समय नहीं है। वर्ष भर सुविधानुसार इसे बो सकती हैं।

    चौलाई

    चौलाई के पत्तों का साग भी बड़े शौक से खाया जाता है। इसे बोने का समय है मार्च व जून । मई और जुलाई में भी इसे बो सकती हैं। 

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