आपका किचन गार्डन और स्वास्थ्य के लिए सब्जियों का महत्व
आपका किचन गार्डन और स्वास्थ्य के लिए सब्जियों का महत्व
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लू० एच० ओ०) के विशेषज्ञों ने जब विभिन्न देशों के आहार और खानपान की आदतों का सर्वेक्षण किया तो पता चला कि हमारे देश में अन्न ही अन्न खाने की परंपरा सबसे अधिक है। युरोप, अमरीका आदि विकसित देशों में अन्न की मात्रा कम रखकर फलसब्जियां अधिक मात्रा में खाते हैं। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार उन्हें विटामिन और खनिज लवण फल-सब्जियों द्वारा अधिक मात्रा में मिलते हैं। फल-सब्जियों के कारण ही उनका स्वास्थ्य ठीक रहता है और शरीर में रोग निरोधक शक्ति बनी रहती है। मम विशेषज्ञों ने सब्जियों पर अनुसंधान और परीक्षणों से ज्ञात किया है कि फलों की अपेक्षा सब्जियों में अधिक पौष्टिक गुण होते हैं। फलों की अपेक्षा सब्जियां अधिक सस्ती और सर्वत्र उपलब्ध हो जाती हैं, इसलिए इनका उपयोग अधिक मात्रा में किया जा सकता है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार अन्न व दूसरे खाद्यों की अपेक्षा सब्जियां अधिक शीघ्रता से पच जाती हैं और इनसे विटामिन और खनिज भी अधिक मात्रा में मिलते
अभी कुछ वर्षों पूर्व गाजर पर हुए परीक्षणों से यह ज्ञात हुआ है कि शरीर को पर्याप्त शक्ति देने व विभिन्न रोगों को रोके रखने में गाजर बहुत पौष्टिक व गुणकारी सब्जी है। इन परीक्षणों के बाद गाजर खाने का प्रचलन प्रारम्भ हो गया। पहले जो गाजर केवल निर्धन वर्ग का ही खाद्य समझा जाता था अब उच्च वर्ग में भी डाइनिंग टेबल पर रखा जाने लगा है। गाजर के रस को पीने से पाचन किया ठीक होती है और शरीर में रक्त का विकास भी होता है। टमाटर के गुणों से परिचित होने पर लोगों ने सेबों के स्थान पर टमाटरों का उपयोग करना प्रारम्भ किया तो टमाटर सेबों से भी महंगे बिकने लगे। टमाटरों में सबसे अधिक विटामिन 'सी' होता है और जो पाचन क्रिया को सन्तुलित रखने के साथ शरीर को शक्ति देता है। इससे नेत्र ज्योति भी ठीक रहती है और त्वचा पर निखार आता है। टमाटर को कृत्रिम सौंदर्य प्रसाधन के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है।
बथुआ व पालक को भी अधिकांश लोग सस्ता होने तथा उसके गुणों से अपरिचित होने के कारण गरीब लोगों का खाद्य समझते हैं, लेकिन जब डाक्टर किसी गर्भवती स्त्री या निर्बल व्यक्ति को लोहे की कमी के कारण पालक, बथुआ, मेथी, सरसों आदि हरे पत्ते वाले शाक खाने को कहते हैं तो दूसरे भी इनका उपयोग करने लगते हैं। आलू, बैंगन आदि सब्जियों को जब कोई रोगी नहीं खा पाता है तो पालक, बथुआ आदि शाकों से उस निर्बल व्यक्ति को शक्ति मिलती है।
विशेषज्ञों ने मधुमेह के रोगी के लिए करेला सर्वश्रेष्ठ गुणकारी औषधि बताया है। मधुमेह (डायबिटीज) के अतिरिक्त करेले के सेवन से रक्तशुद्धि, अर्श व रतौंधी नेत्र रोए में बहुत लाभ होता है। घर के आसपास छोटे से लान में, किसी पेड़ का सहारा लेते हुए करेले की बेल लगाई जा सकती है। मूली, गाजर, टमाटर, खीरा, प्याज तथा हरी मिर्च भी थोड़ीसी ही जगह में सरलता से उगाए जा सकते हैं। इन सब्जियों के गुण भी किसी से छिपे नहीं।
आहार के साथ सलाद का विशेष महत्व है। जब किसी को आहार के प्रति रुचि न हो तो सलाद उनमें अभिरुचि जागृत करते हैं। साथ ही आहार को शीघ्र पचाने में सहायता करते हैं। मूली, गाजर, टमाटर, प्याज और चुकंदर आदि सलाद के रूप में उपयोग किए जाते हैं। ग्रीष्म ऋतु में वीरा, ककड़ी शरीर में शीतलता बनाए रखते हैं और इनसे शरीर में जल की कमी पूरी होती है।
गर्भवती स्त्रियां अन्न को अधिक मात्रा में नहीं खा पातीं और उनका पाचन भी देर में होता है। ऐसे में गर्भवती स्त्रियों को अधिक पौष्टिक व सन्तुलित आहार की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में सब्जियां अधिक मात्रा में खिलाकर गर्भवती स्त्री के आहार को पौष्टिक बनाया सकता है।
शरीर में लौह कम होने पर गर्भवती के हाथ-पांवों और चेहरे पर शोथ (सूजन) स्पष्ट होती है तो अतिरिक्त मात्रा में उसको लोह खनिज (आयरन) दिए जाते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार पालक, बथुआ व मेथी आदि में लौह खनिज अधिक मात्रा में होते हैं । इनके नियमित उपयोग से शरीर में लौह की कमी पूरी की जा सकती है।
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