पहली या दूसरी मंजिल पर रहने वाले किचन गार्डन कैसे बनायें
पहली या दूसरी मंजिल पर रहने वाले किचन गार्डन कैसे बनायें
किचन गार्डन का उपयोग व चलन आदिकाल से चला आ रहा है। आदिकाल में जब मनुष्य छोटे-छोटे समूहों में धुमक्कड़ के रूप में रहता था; उस समय भी वह अपने रहने के स्थान के चारों ओर कन्द-मूल-फल उगाकर भोजन की प्राप्ति करता था। सभ्यता के विकास व साधनों की उपलब्धि के साथ-साथ इस प्रकार के उद्यानों का भी विकास हुआ। शहरों और कस्बों का जन्म हुआ। जनसंख्या शहरों में बसने लगी, लेकिन मनुष्य ने शहरों में भी इस प्रकार के साग-सब्जियां उगाने के अपने शौक को बनाए रखा. 10 गांवों में तो किचन गार्डन व्यापक रूप से मिलते हैं, लेकिन शहरों में सीमित स्थान व साधनों के कारण इनका चलन कम है। आजकल कुछ नगरपालिकायें व स्थानीय समितियां इनको प्रोत्साहित कर रही हैं। शहर में किचन गार्डन लगाने में स्थान के अतिरिक्त किसी भी बात की तकलीफ नहीं होती, क्योंकि अच्छी खाद तथा विभिन्न किस्मों के बीज, कीट व फफूंदनाशक दवाएं तथा पौधों की सुरक्षा के लिए परामर्श आदि भी तुरन्त उपलब्ध हो सकते हैं।
पहली या दूसरी मंजिल पर रहने वालों के लिए छत-उद्यान या बरामदा-उद्यान उपयुक्त रहता है । आधुनिक मकानों की छतों पर जलरोधक सीमेंट से क्यारियां बनाई जाती हैं, जिसमें आप सब्जियां उगा सकते हैं। यदि इस प्रकार की क्यारियां उपलब्ध न हों तो लकड़ी के खाली बक्से या गमलों में भी इनको उगा सकते हैं।
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