किचन गार्डन में लगे प्याज की देखभाल कैसे करें
किचन गार्डन में लगे प्याज की देखभाल कैसे करें
प्याज़ के लिए पानी की बहुत आवश्यकता पड़ती है। अतः दिन में कम से कम एक बार पानी अवश्य दिया करें। जब हवा शुष्क हो तो दिन में दो बार भी पानी दे सकते हैं । जो फसल जून से अक्तूबर के मध्य बोई जाती है उसे बहुत कम सिंचाई की आवश्यकता रहती है, क्योंकि यह फसल मुख्यतः वर्षा पर निर्भर करती है, परन्तु जो फसल अक्तूबर में बोई जाती है उसकी सिंचाई सप्ताह में चार से छ: बार तक करनी पड़ती है। हल्की मिट्टी में उगाई गई फसल को अपेक्षाकृत अधिक पानी देना पड़ता है। अन्तिम सिंचाई खुदाई करने के 3 दिन पहले करें। प्याज़ की पत्तियां जब गिरने लगें तो उसकी सिंचाई बन्द कर देनी चाहिए।
प्याज की फसल की सप्ताह में दो बार निराई-गुड़ाई करना भी आवश्यक है। ऐसा करने पर क्यारी में भुरभुरापन बना रहता है तथा पौधे स्वस्थ और प्याज़ अधिक बड़े आकार के बनते हैं। यदि पौधे पर फूल आने लग जाते हैं तो उन्हें तोड़ देना चाहिए वरना भूमि में बढ़ रहे प्याज का आकार छोटा रह जाता है।
क्यारी में उग रहे अनुपयोगी जंगली पौधों या खरपतवार को किसी भी स्थिति में उगने नहीं देना चाहिए। इसके लिए खरपतवारनाशक (Herbicides) जैसे क्लोरो आई०पी०सी० छिड़कना चाहिए। 3-4 माह पश्चात् फसल खोदने योग्य हो जाती है। पत्तियां जब टूटकर नीचे झुकने लगें तो फसल को पका हुआ समझना चाहिए। पत्तियां इस समय हरी रहती हैं। जब ऊपर की पत्तियां तीन-चौथाई झड़ जाएं तब प्याज को भूमि से निकाल लेना चाहिए। यह प्रायः मार्च से अप्रैल के बीच किया जाता है। प्याज़ को निकाल लेने के बाद खली धूप में दो-तीन दिनों तक रख देना चाहिए, जिससे अन्दर की नमी सूख जाती है और मिट्टी भी झड़ जाती है । इस क्रिया को क्यूरिंग कहते हैं। खोदते समय इस बात का ।
ध्यान रखें कि भूमि में लगा हुआ बल्ब या कन्द कटना नहीं चाहिए। कटे हुए कन्द शीघ्र ही खराब हो जाते हैं। कभी-कभी पौधे गांठ आने से पूर्व ही पीले पड़ जाते हैं। ऐसी स्थिति में पौधों के आस-पास राख छिड़क कर सिंचाई कर देनी चाहिए।
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