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    फसल-चक्र विधि को अपने किचन गार्डन में अपनाने से आपको ये लाभ प्राप्त होंगे

     

    By adopting crop rotation method in your kitchen garden, you will get these benefits

    फसल-चक्र विधि को अपने किचन गार्डन में अपनाने से आपको ये लाभ प्राप्त होंगे 

    फसल-चक्र

    यदि आप निरन्तर एक ही प्रकार की तरकारी अपने उद्यान में उगाते रहेंगे तो उससे मिट्टी की उर्वरकशक्ति में कमी आ जाएगी। एक ही प्रकार

    की फसल के समान पौधे अपनी जड़ों का फैलाव एक विशिष्ट एवं सीमित स्थान तक करते हैं और वहां उपस्थित पोषक तत्वों का उपभोग करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप उस स्थान के पोषक तत्वों की मात्रा में कमी मा जाती है और भूमि की उर्वरक शक्ति भी कम हो जाती है। अत: भूमि की उर्वरक शक्ति को यथावत् बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि किसी निश्चित फसल को, निश्चित क्षेत्र में तथा निश्चित समय पर ही इस रूप से बोया जाए कि भूमि की उर्वरता में कमी आ सके। इस प्रकार की विधि को फसल-चक्र (Crop Rotation) कहते हैं।

    उद्देश्य

    फसल-चक्र से सब्जियों को पैदा करने में व्यय भी कम पड़ता है और बार-बार भूमि में खाद मिलाने की आवश्यकता भी नहीं रहती। साथ ही शीघ्र ही पक कर तैयार हो जाने वाली फसल के स्थान का उपयोग दूसरी फसल को लगाकर किया जा सकता है। इससे आपका किचन गार्डन कभी भी खाली न रहेगा और आपको अधिकाधिक साग-सब्जियां मिलती रहेंगी। इसके साथ ही अधिक पानी वाली फसल के पश्चात् कम पानी वाली फसल को बोकर आप पानी की खपत में भी कमी कर सकेंगे।

    लाभ

    फसल-चक्र विधि को अपनाने से निम्नलिखित लाभ हैं

    1. फसलों के बीच में एक बार फलीदार फसल को उगाने से भूमि की उर्वरक शक्ति बढ़ती है। इसका मुख्य कारण यह है कि फलीदार पौधों में नाइट्रोजन के बंधन की क्षमता होती है, जिससे भूमि के नाइट्रोजन

    स्तर में वृद्धि होती है और कम खाद के प्रयोग से अधिकाधिक लाभ प्राप्त - हो सकता है।

    2. सभी पौधों की जड़ें एक समान गहरी नहीं होतीं। कुछ जड़ें भूमि में अधिक गहरी जाती हैं तो कुछ कम । अधिक व कम गहरी जाने वाली जड़ों के पौधों को एक-दूसरे के बाद उगाने से भूमि के पोषक तत्वों का ह्रास नहीं होता।

    3. यदि एक क्यारी में फसल-चक्र के अनुसार पौधों को लगाया जाए तो स्वाभाविक है कि हमें उसकी गुड़ाई भी बार-बार करनी होगी, जिससे परोपजीवी पौधे व हानिकर कीड़े नष्ट होते रहेंगे और भूमि सदा स्वस्थ बनी रहेगी।

    3. फसल-चक्र से फफंद व कीड़ों की संख्या भी कम हो जाती है। 5. खाद का भी पूरा-पूरा उपयोग होता है। 6. फसल की पैदावार भी अधिक होती है।

    7. कुछ पौधों की जड़ें अपनी वृद्धि के दौरान ऐसे हानिप्रद रसायनों का निर्माण करती हैं जो कि भूमि में मिलकर अन्य पौधों की वृद्धि को रोकते हैं। यदि फसल-चक्र विधि को अपनाया जाएगा तो इस समस्या से भी बचा जा सकेगा।

    8. पौधों को भी उचित मात्रा में नाइट्रोजन, फासफोरस तथा पोटेशियम प्राप्त होता रहता है।

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