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    रासायनिक गुणों के आधार पर भूमि के मुख्य वर्ग एवं उपयोगिता

     

    Main classes and uses of land on the basis of chemical properties

    रासायनिक गुणों के आधार पर भूमि के मुख्य वर्ग एवं उपयोगिता 

    रासायनिक गुणों के आधार पर भूमि को चार मुख्य वर्गों में बांटा जाता है। 

    1. कार्बनिक या जीवांशिक भूमि में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा - अधिक होती है। इस का स्वभाव अम्लीय होता है तथा ऐसी भूमि अधिक बरसात होने वाले क्षेत्रों में पायी जाती है। 

    2. चुनायुक्त भूमि में चूने अर्थात् कैलशियम कार्बोनेट की मात्रा अधिक होती है। ऐसी भूमि क्षारीय होती है तथा इस प्रकार की भूमि में साग-सब्जियां आदि उगाने के लिए अधिक जल व खाद की आवश्यकता रहती है। ऐसी भूमि कम वर्षा वाले क्षेत्रों में पायी जाती है। 

    3. कंकरीली भूमि में जल को सोखने की क्षमता तो अधिक होती है, लेकिन उसमें जल को बांधने की क्षमता कम होती है। ऐसी भूमि पहाड़ी व अधिक वर्षा वाले इलाकों में ही पाई जाती है। इसकी पोषकक्षमता बहुत कम होती है। इसमें साग-सब्जियां उगाना बहुत कठिन होता है। 

    4. खनिज भूमि बागवानी के लिए अत्युत्तम होती है, क्योंकि इसमें वे सभी पोषक तत्व विद्यमान रहते हैं, जिनकी आवश्यकता पौधों की वृद्धि के लिए आवश्यक होती है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, राजस्थान, आसाम तथा दक्षिण भारत के अधिकांश उपजाऊ क्षेत्रों में इसी प्रकार की भूमि पायी जाती है। इस भूमि में चिकनी, दोमट, बलुई दोमट तथा बलुई मिट्टी प्रमुख हैं।


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