किचन गार्डन में क्यारी की तैयारी करते समय इन बातों का अवश्य ही ध्यान रखें
किचन गार्डन में क्यारी की तैयारी करते समय इन बातों का अवश्य ही ध्यान रखें
क्यारी की तैयारी
क्यारी तैयार करने के लिए तो पहले ही बताया जा चुका है। यहां कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर प्रकाश डालना ही आवश्यक है।
क्यारी की तैयारी के आरम्भिक चरण में भूमि को समतल किया जाता है। असमतल भूमि में जल का निकास व कृषि तथा भूपरिष्करण क्रियाएं सम्भव नहीं हो पातीं। यदि भूमि मुलायम हो तो उत्तम है, अन्यथा भूमि को निम्न विधि से मुलायम कर लें।
जिस स्थान पर क्यारी बनानी हो, वहां थोड़ा-सा पानी डालें और भूमि की ऊपरी परत को छीलकर मेंड़ या डोल बना दें। अब उस क्यारी में पूरा पानी भर दें। कुछ देर पश्चात् जब पानी पूर्णतः मिट्टी द्वारा सोख लिया जाए तब भूमि को 25-30 सेंटीमीटर गहरा खोद लें। खुदी मिट्टी को तीन-चार दिनों तक खुली धूप में तपने के लिए छोड़ दें, जिससे हानिकारक फफूंद व कीड़े-मकोड़े आदि मर जाएंगे।
यदि इस भूमि पर पिछले साल या पहले कभी खेती या सब्जियां उगाई जा चुकी हैं तो आप इसमें अधिक खाद न दें, अन्यथा उसमें गोबर व पत्तों की खाद आगे बताई गई मात्रा के अनुसार दें। खाद को क्यारी के ऊपर इस तरह से फैलाना चाहिए कि सारी मिट्टी पर तीन-चार इंच मोटी परत बन जाए। अब इस खाद को खुरपी द्वारा मिट्टी में अच्छी तरह मिला लेना चाहिए और उसे समतल कर देना चाहिए।
शहरों में सीमित स्थान के कारण गमलों में भी साग-सब्जियां उगाई जा सकती हैं, जैसे-बैंगन, भिंडी, टमाटर, पोदीना, हरा धनिया, पालक, मिर्च आदि । गमलों में सब्जियां उगाना बहत सरल है, लेकिन इसके लिए विशेष सावधानियां बरतने की आवश्यकता है। गमले के आकार के अनुसार ही पौधों का चुनाव करना चाहिए।
आकार एव सीमाबंदी
साग-सब्जियों के लिए बनाई गई क्यारियां समचतुर्भुज, आयताकार या ईंट के आकार वाली होती हैं, लेकिन क्यारियों का डिजाइन ऐसा बनाएं कि आपको सिंचाई करने में किसी प्रकार की असुविधा न हो। अनियमित आकार या अधिक लम्बी क्यारियां कभी नहीं बनानी चाहिएं।
क्यारियों की सीमाबन्दी करना भी आवश्यक है, क्योंकि सीमाबन्दी न करने से क्यारियों में दिए गए पानी के फैलने की संभावना बनी रहती है। क्यारियों की सीमाबन्दी ईंटों या सीमेन्ट की फट्रियों से की जा सकती
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