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    अपने किचन गार्डन को खरपतवार के प्रकोप से कैसे बचाएं

     
    How to protect your kitchen garden from weed infestations

    अपने किचन गार्डन को खरपतवार के प्रकोप से कैसे बचाएं 

    आप फसली बीजों को किचन गार्डन में बोएं तो पहले उन्हें गुनगुने गरम पानी से अवश्य धो लें। कृषि वैज्ञानिकों का ऐसा अनुमान है कि फसल वे 'बीजों के साथ 5-10 प्रतिशत खरपतवार के बीज भी अवश्य होते हैं । अत 'जहां तक हो बीज प्रतिष्ठित संस्थाओं से ही क्रय करें। प्रायः छोटे दुकान दार स्थानीय बीजों को ही खरीद कर, पैकेट बनाकर बेचा करते हैं जिनकी शुद्धता संदिग्ध ही होती है। ___गोबर तथा हरी घास की खाद में भी खरपतवार के बीजों, जड़ों तनों आदि की मात्रा 4 से 6 प्रतिशत तक होती है। अत: जहां तक हो सके हरी घास व खरपतवार वाले पौधों की खाद को किचन गार्डन के लिए प्रयोग में नहीं लाना चाहिए। उत्तम किस्म के खाद का प्रयोग करने से ही पौधे शीघ्रता से बढ़ते हैं और खरपतवार की वृद्धि को भी दवा देते हैं।

            अपने किचन गार्डन में मिश्रित फसलों को उगाकर भी आप खरपतवार के प्रकोप से किसी हद तक छुटकारा पा सकते हैं। इसके अतिरिक्त आपको चाहिए कि आप समय-समय पर पौधों की निराई-गुड़ाई करके खरपतवार को क्यारी से जड़सहित साफ कर सकते हैं। यदि खरपतवार की वृद्धि-दर फसली पौधों की वृद्धि-दर से अधिक दिखाई पड़ती हो तो आप प्रति सप्ताह क्यारियों की निराई-गुड़ाई करें।

    खरपतवारनाशक रासायनिक विधियां-

    भी आजकल काफी प्रचलित हैं। खरपतवार को नष्ट करने वाले कुछ रसायनों का भी आविष्कार हो चुका है, जिन्हें हर्बीसाइड (Herbicide) या खरपतवारनाशक (Weedicide) कहते हैं । कुछ महत्वपूर्ण खरपतवारनाशक रसायन इस प्रकार हैं।

    1.2,4-D-इसे डाइक्लोरोफिनॉक्सी ऐसीटिक अम्ल कहते हैं। यह बाजार में मुख्यत: तीन प्रकार में मिलता है-सोडियम लवण के रूप में (सफेद रंग का चूर्ण), एमाइन लवण (हल्के भूरे रंग का तरल द्रव्य), एस्टर के रूप में (पीले रंग का द्रव्य)। इसका प्रयोग बीज के अंकुरण से पूर्व खड़ी फसल में करना चाहिए। 1

    2. MCPA-इसे क्लोरोमिथाइल फिनॉक्सी ऐसीटिक अम्ल कहते हैं। इसका प्रभाव भूमि पर छिड़कने के पश्चात 6 से 8 सप्ताह तक रहता है। 5

    3. डालपान—यह डाईक्लोरो प्रापीआनिक अम्ल नामक रसायन है। यह केवल पतली व लम्बी पत्तियों वाले पौधों पर ही प्रभावकारी सिद्ध होता है।

    4. ऐटाजीन-यह खरपतवार के चौड़ी पत्तियों वाले पौधों पर ही प्रभावी होता है। बाजार में यह ऐटैफ के नाम से भी बिकता है।

    5. सिमैजीन--यह रेतीले क्षेत्र में पैदा होने वाली खरपतवार को शीघ्रता से नष्ट करता है, पर इसका प्रयोग बीजों के अंकुरण से पूर्व ही करना चाहिए। इससे चौड़ी पत्तियों वाली खरपतवार को सरलता से नष्ट किया जा सकता है।

    उपर्युक्त रसायनों के अतिरिक्त और भी कई खरपतवारनाशक रसायनों का अविष्कार हो चुका है, जिनमें डी० पी० ए०, टरब्यूटाइन, केपटान आदि मुख्य हैं।

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