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    अपने किचन गार्डन में कीड़ों की रोकथाम कैसे कि जाये

    How to prevent insects in your kitchen garden


    अपने किचन गार्डन में कीड़ों की रोकथाम कैसे कि जाये 

    जहां तक हो सके फसल को कीड़ों के आक्रमण से बचाने का प्रयत्न ही करना चाहिए और यदि आक्रमण हो भी जाए तो इन्हें प्रारम्भिक अवस्था में ही नष्ट करने के उपाय कर लेने चाहिएं।

    कीड़ों की रोकथाम सामान्य एवं रासायनिक विधि द्वारा की जा सकती है।

    सामान्य विषि-

    किचन गार्डन व रसोई का कूड़ा-करकट इधर-उधर कभी नहीं फेंकना चाहिए। ऐसा करने पर कीड़ों को प्रजनन करने के लिए उपयुक्त स्थान मिल जाता है और उनकी वंशवृद्धि होती रहती है।

    जिस स्थान पर अनुपयोगी पौधे लगे हुए हों उस स्थान पर उगी हुई घास-पात को साफ करते रहना चाहिए। ऐसा करने पर कीड़ों को आवास के लिए स्थान नहीं मिल पायेगा और आपके उपयोगी पौधे भी नष्ट नहीं होंगे।

    जहां तक हो सके उपयोगी पौधों को पूरी मात्रा में खाद देते रहना चाहिए, जिससे वे पूर्णरूप से स्वस्थ रहें। स्वस्थ पौधों पर कीड़े सरलता से आक्रमण नहीं कर पाते।

    नर्सरी में तैयार हो रहे पौधों की सुरक्षा के लिए उन्हें पतले मलमल के कपड़े या तार की पतली जाली से ढंक देना चाहिए। कीड़े छोटे पौधों पर बहुत शीघ्र ही आक्रमण करते हैं।

    यदि किन्हीं कारणों से आपके किचन गार्डन में कीड़ों की संख्या अधिक हो भी गई हो तो उन्हें कीड़े पकड़ने वाली जाली के द्वारा एकत्रित करके किसी कीटनाशक से समाप्त कर देना चाहिए।

    कीटों के अंडे फसली पौधों के बीच उग रही खरपतवार से भी चिपके रहते हैं। अत: जहां तक हो सके खरपतवार को बराबर साफ करते रहना चाहिए।

    धनेरिया व अन्य कई सूक्ष्म आकार के कीड़े रोगग्रस्त बीजों में चिपके हुए पाए जाते हैं। अतः बीजों को खरीदते समय भली प्रकार जांच कर लेनी आवश्यक है।

    रासायनिक विधि-

    बैज्ञानिकों ने ऐसे कई कीटनाशक रसायनों का आविष्कार कर लिया है, जिनसे पौधों को कीड़ों से रक्षा की जा सकती है। कुछ महत्वपूर्ण कीटनाशक रसायन निम्नलिखित हैं। बी० एच० सी० (B. H.C.), डी० डी० टी० (D.D.T.), एल्ड्रिन, मैलाथियान, सेविन, थायोडान, पैराथियान, रोगर, क्लोरडेन, फालीडाल, नूआन, मेटासिस्टाक्स, लिन्टाफ, डाइवैप, एकाटिन, डाइजिनान, लिण्डेन आदि।

    विभिन्न प्रकार के कीटनाशक भिन्न-भिन्न प्रकार से कीटों पर अपना प्रभाव डालते हैं। उदाहरणतः कुछ रसायन कीटों के आमाशय में पहुंच कर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं तो कुछ उनके श्वास संस्थान को प्रभावित करते हैं। श्वास संस्थान पर प्रभाव के कारण उनकी मृत्यु हो जाती है। कुछ रसायन खुजली उत्पन्न करने वाले भी होते हैं। अतः जैसे ही कीड़ों की मुलायम त्वचा ऐसे रसायनों के सम्पर्क में आती है, वे खुजली के कारण मर जाते हैं। इस प्रकार के रसायनों को स्पर्श-विष कहते हैं तथा रस चूसने वाले कीड़ों के लिए यह अत्यन्त घातक होता है।

    आजकल कुछ कीटनाशक गैस के रूप में भी मिलते हैं। ऐसे रसायनों का उपयोग मात्र गोदामों के लिए उपयुक्त रहता है। जहरीली गैसों से कीड़ों का दम घुटने लगता है और वे मर जाते हैं।

    कीटनाशक पदार्थों का प्रयोग केवल प्रातःकाल या फिर शाम को ही करना चाहिए, लेकिन इनका प्रयोग करने से पूर्व यह अवश्य देख लें कि हवा शान्त हो। यदि हवा शान्त हो तथा वर्षा की भी कोई संभावना न हो तब ही इनका प्रयोग किया जाना चाहिए।

    कीटनाशक रसायन बाजार में पाऊडर, तरल तथा गैस के रूप में भी बिकते हैं। अतः पौधे की आवश्यकतानुसार ही उनका प्रयोग करना चाहिए। जिन रसायनों को पाऊडर के रूप में मुरकना पड़ता है उनके लिए डस्टिग मशीन का प्रयोग करें, लेकिन यदि रसायन तरल अवस्था में हो तो उसके छिड़कने के लिए स्प्रेगन का प्रयोग करें।

    भुरकाव व छिड़काव सदा हवा के रुख की ओर ही करना उचित रहता है।

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